सामाजिक विमर्श >> मुस्लिम कथाकार और भारतीय समाज मुस्लिम कथाकार और भारतीय समाजडॉ. यतीन्द्र सिंह कुशवाहा
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मुस्लिम कथाकार और भारतीय समाज
शान्त बैठा हूँ जो आज, सोचते हैं आप क्या ।
बुझ गये हैं दीप सब, मैं भी जलना छोड़ दूँ।
मैं करूँगा वह यहाँ, जो किसी ने किया नहीं ।
यतीन्द्र हूँ मैं सत्य में, बस नाम का यती नहीं ।
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- अनुक्रमणिका
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